युवा नेता एवं युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं की स्थिति :-

युवा नेता एवं युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं की स्थिति :-
सारा दिन नेता की जय, नेता की जय चिल्लायेंगे,
पार्टी आफिस में दरियां दिन रात बिछवायेंगे।
होने वाली है वतन में फिर चुनावी बारिशें,
जितने मुखबिर हैं युवा नेता बनाये जायेंगे।।

मानो युवा वर्ग हमारे समाज परिवार देश की रीढ़ मानी जाती है और वास्तविक तौर पर देश की प्रमुखता में इनका बड़ा योगदान और महत्व है। जहां एक तरफ जिम्मेदारी का वीणा लिए हुए एक नवयुवक समाज और देश के लिए अपने को निरंतर प्रखर रखता है तो वहीं एक तरफ यह भी देखने को मिलता है कि आज की कुछ युवा पीढ़ी सोसल मीडिया पर सिर्फ नाम मात्र के युवा नेता बनकर पोस्ट पर पोस्ट डालने के शौकीन पाए जा रहे हैं। वास्तव में हर समय आनलाइन रहना गलत नहीं है क्योंकि कुछ लोग सीखने के लिए भी आनलाइन दिखते हैं तो वहीं दूसरी तरफ विधायक जी के साथ शादी समारोह में और कुछ नये थाना प्रभारी के साथ सुखद मुलाकात में और तो और हद तो तब हो जाती है जब वे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर तडकता धड़कता स्टेटस से महफ़िल में चार चांद उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
आज सोसल मीडिया का जन जागरूकता में बहुत योगदान है और यह एक ऐसा अड्डा है जहां हम जिस दिशा में अपने कीमती समय का उपयोग करेंगे उसी अनुरूप सफलता मिलेगी। तो जहां एक तरफ सोसल मीडिया से कुछ अच्छा सीखने का प्रयास करता है तो दूसरी तरफ अपने नेताई के बखान में लगे रहते हैं, समय मार्च 2022 का है मैं अपने गृह जनपद में था और घर के कार्य वश बाजार की तरफ जाना हुआ तो मैं बाइक में पेट्रोल डालने के लिए प्रेटोल पंप पर जा पहुंचा तो देखा एक सज्जन (आयु 21 से 23 वर्ष) काफी मुश्किल से एक बाइक को धकेलते हुए बड़ी मुश्किल से पंप तक पहुंचे लग रहा था कि काफी दूर से धक्का लगा कर आये है तभी अचानक मेरी नजर  उनकी बाइक के सामने लगे प्लेट पर गई तो लिखा था युवा नेता तो नेता जी टंकी तक पहुंच तो गए लेकिन पेट्रोल नहीं डलवा रहे हैं तो मैं आदतन पूंछ लिया क्या हुआ कोई दिक्कत है क्या तो उत्तर मिला किसी का इंतजार कर रहा हूं, मेरा इंटरेस्ट बढ रहा था मैंने फिर पूछा क्या हुआ पेट्रोल डालवा कर भी तो इंतज़ार कर सकते हो कहते हुए आगे की तरफ बढ गया अचानक पीछे से आवाज़ आई भैय्या मैंने पीछे देखा तो वही लड़का मैं मुड़कर गया तो पूछा क्या बात है बताओ तो उसने कहा गाड़ी में थोड़ा पेट्रोल डलवा दीजिए नेता जी के यहां जाना है मैंने पूछा कितने का डलवा दूं लड़के की आवाज लडखडाहट से कुछ स्पष्ट नहीं हुआ फिर मैंने नजदीकी पंप आपरेटर को सौ रुपए देते हुए कहा कि मान्यवर की गाड़ी में पेट्रोल डाल देना कहते हुए मैं आगे बढ़ रहा था कि अचानक भैय्या जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद वाला टोन सुनाई दिया तो मैं रूक गया फिर मैंने थोड़ा उन्हें जानना चाहा तो पता चला समीप के ही हैं और आज कल ग्रेजुएशन कम्प्लीट कर नेता जी के साथ जनता जनार्दन की सेवा सर्व जन हिताय में लगे हुए हैं फिर मैंने बाइक के बारे में जानना चाहा तो बताया कि पिछले एक साल पहले शादी में दहेज स्वरूप मिली थी फिर मुझे लगा कि मैं ये सब जानकर क्या करूंगा और मैं शुभकामनाएं देते हुए आगे बढ़ गया सब कुछ ठीक था फिर अचानक उसी दिन देर शाम तक एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आता है और मैं आईडी को देखने का प्रयास करता हूं तो आईडी सम्पूर्ण तरीके से लाक थी लेकिन मैचुअल फ्रेंड के आधार पर मैंने रिक्वेस्ट स्वीकार कर लिया तो कुछ समय पश्चात एक पोस्ट आई जिसमें मुझे भी टैग किया गया था और पोस्ट में नेता जी के साथ बर्थडे पार्टी में इंजाय करते हुए मानो फेसबुक पेज पर चार चांद लगा रहे थे मैंने भी बिना जाने समझे टैग होने के नाते हैप्पी बर्थडे वाला कमेंट कर दिया बाद में तमाम सूत्रों से स्पष्ट हुआ कि महोदय एक युवा नेता का फास्ट ट्रैक लगाकर बस सोसल मीडिया पर पोस्ट डालना, किसी रैली आदि कार्यों में भीड़ के हिस्से की फोटो सोशल मीडिया पर डालने भर तक ही इनकी हैसियत है और नेता जी का काफिला तो बढ़ जाता है लेकिन इनकी हैसियत हमेशा बौनी रहती है।
इसीलिए मैं जहां तक अनुभव करता हूं कि मैं मेरे अधिकार और कर्तव्य से हट कर कोई ऐसा काम नहीं करूंगा जिससे मुझे मेरे खुद के कर्तव्यों को दूसरे का सहारा लेना पड़े। 

साहित्यकार एवं लेखक- 
आशीष मिश्र उर्वर
कादीपुर, सुल्तानपुर, उ.प्र.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनभद्र के परिषदीय विद्यालयों में राज्य परियोजना कार्यालय लखनऊ की टीम ने की गुणवत्ता को जांच

विशिष्ट स्टेडियम तियरा के प्रांगण में विकसित भारत संकल्प यात्रा सकुशल संपन्न

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ बने विश्व के कीर्तिमान