अमृत बेला में, अमृतप्राणा प्रकृति की अमृत वर्षा : डॉक्टर दयाराम विश्वकर्मा

अमृत बेला में, अमृतप्राणा प्रकृति की अमृत वर्षा : डॉक्टर दयाराम विश्वकर्मा                         
अमृत बेला को ब्रम्ह मुहूर्त भी कहते हैं, इस समय प्रकृति शांत रहती है। यह समय स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से भी बहुत अच्छा माना जाता है। तो आइए, ब्रह्म मुहूर्त को और अच्छे से समझें। ब्रह्म मुहूर्त दो शब्दों के संयोजन से बना है, ब्रह्म का मतलब परमात्मा, और मुहूर्त का मतलब समय, हमारे मनीषियों ने एक मुहूर्त के समय को 48 मिनट का बताया है। हम सभी जानते है कि भौगोलिक स्थिति और ऋतुओं के अनुसार सूर्योदय का समय बदलता रहता है, सूर्योदय से दो मुहूर्त यानि, 96 मिनट पहले के समय को ब्रह्म मुहूर्त या ब्रह्मबेला कहते हैं। इस समय सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह अपने चरम पर होता है। हमारे ऋषियों, महर्षियों ने कहा है कि-
    "ब्रह्म मुहूर्ते बुध्येत" यानि ब्रह्म बेला में जग जाने की हिदायतें दी हैं। इस समय काल में प्रकृति अमृत प्राणा होती है।
भू वैज्ञानिकों का भी कहना है कि ब्रह्म मुहूर्त का समय बदलता रहता है। कुछ लोग ब्रह्म मुहूर्त के समय को 4:24 बजे से 5:12 बजे का  मानते हैं, कुछ लोग 4 बजे से 6 बजे के समय को  ब्रह्म मुहूर्त मानते हैं। गर्मी, जाड़े, बरसात में ब्रह्म मुहूर्त का समय भिन्न- भिन्न हो जाता है, क्योंकि सूर्योदय का समय भी ऋतु अनुसार बदल जाता है।
कहते है कि जिस किसी को अच्छी सेहत, ताजगी व ऊर्जा पाने की लालसा हो उन्हें ब्रह्म मुहूर्त में जागने का अभ्यास करना चाहिए। इस समय व्यक्ति का दिमाग स्थिर रहता है, वातावरण स्वच्छ होने के कारण देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा का भी यह उपयुक्त समय होता है। तन, मन, बुद्धि को पुष्ट करने का यह अति उत्तम समय माना जाता है।
अष्टांग हृदय में भी वर्णित है कि जो साधक ध्यान में गहरे उतरना चाहते हैं, उन्हें ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान लगाने का अभ्यास करना अति उत्तम होता है, कहते हैं कि जो व्यक्ति नियम पूर्वक ब्रह्म मुहूर्त में जागते हैं, उनकी उम्र बढ़ने की क्रिया धीमी होने लगती है।
ब्रह्म मुहूर्त में जागने के वैज्ञानिकों ने भी अनेक फायदे बताए हैं। ब्रह्म मुहूर्त में पिट्यूटरी ग्लैंड का स्राव ज्यादा होता है, इस समय व्यक्ति को गुस्सा, लालच, ईर्ष्या कम होता है। अचेतन मन ज्यादा कारगर होता है। नकारात्मकता कम होती है। शरीर में स्फूर्ति ज्यादा होती है।इस समय व्यक्ति में सृजनात्मकता की अभिवृद्धि होती है, जो कुछ भी पढ़ा जाता है, उसकी मस्तिष्क में धारणा अच्छी होती है। वास्तव में ब्रह्म मुहूर्त का समय जादुई समय होता है। निरोगी एवं स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने वालों को, एवं शिखर पर पहुंचने की आकांक्षा रखने वालों को ब्रह्म मुहूर्त में जागना नितांत आवश्यक है। यह समय बल वर्धक एवम सौंदर्य को बढ़ाने वाला भी माना जाता है। एक अंग्रेजी कहावत भी कही जाती है, 
Early to bed and early to rise, makes a man healthy wealthy and wise.
पौराणिक आख्यानों व शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त के लाभों का भी
ज्रिक हुआ है, आइए उस पर भी अनुशीलन करें।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु की प्राप्ति होती है, ऐसा होने से शरीर कमल के समान सुंदर हो जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त में प्रकृति पशु, पक्षी जग जाते हैं, कलरव करते हैं, पुष्प खिल जाते हैं, मुर्गे बाग देते हैं, प्रकृति चैतन्य रहती है।
ब्रह्म मुहूर्त व आयुर्वेद, आयुर्वेद में वर्णित है कि ब्रह्म मुहूर्त में प्रकृति अमृत तुल्य होती है, उस समय में बहने वाली वायु कई रोगों की दवा भी मानी जाती है, जो संजीवनी शक्ति का कार्य करती है। इस मुहूर्त में टहलने का परिणाम सर्वोत्तम होता है। शरीर, मन, मस्तिष्क में स्फूर्ति, ताजगी आती है।व्यक्ति को सुख, समृद्धि, सफलता की प्राप्ति हेतु ब्रह्म मुहूर्त में अवश्य जग जाना चाहिए। शास्त्रों, वेदों व पौराणिक आख्यानों में ब्रह्म मुहूर्त में उठने के तमाम फायदे बताएं गए हैं।
ऋग्वेद में कहा गया है कि सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठाने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा होता है। इसी लिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ्य, सुखी, ताकतवर और दीर्घायु होता है।
सामवेद में वर्णित हैं कि व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लेना चाहिए, इसके बाद पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस समय में शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।
अथर्व वेद ब्रह्म मुहूर्त के बारे में कहता है कि सूरज उगने के बाद भी जो व्यक्ति नही उठता या जागता है, उसका तेज खत्म हो जाता है।
उक्त विश्लेषण से हमें ज्ञात होता है कि कितना लाभप्रद होता है ब्रह्म मुहूर्त में जग जाना।
             
लेखक : डॉ दयाराम विश्वकर्मा 
 पूर्व जिला विकास अधिकारी
            सुंदरपुर, वाराणसी

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