टैक्स अधिवक्ताओं के सी ओ पी रिनुअल में हो शिथिलता : राकेश शरण मिश्र

टैक्स अधिवक्ताओं के सी ओ पी रिनुअल में हो शिथिलता : राकेश शरण मिश्र

(संयुक्त अधिवक्ता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने बार कौंसिल चेयरमैन को पत्र लिखकर की मांग)

सोनभद्र : (जिला ब्यूरो चीफ पवन कुमार की रिपोर्ट)

टैक्स की वकालत करने वालो अधिवक्ताओं के सी ओ पी रिनुअल फार्म भरने में आ रही परेशानी को दूर करने के संबंध में संयुक्त अधिवक्ता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने एक बार पुनः बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के चेयरमैन और सचिव को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि आप द्वारा प्रदेश के पंजीकृत अधिवक्ताओं को 30 नवंबर तक सी ओ पी रेन्युअल और वेरीफिकेशन फार्म भर कर जमा करने का आदेश जारी किया गया है जिसमेँ वर्ष 18-19, 19-20, 21-22, 22-23, में वकालत करते का प्रमाण सी ओ पी फार्म के साथ संलग्न करने को कहा गया है जिसके संबंध में अवगत करवाना है कि 1 जुलाई 2017 से पूरे देश में जी एस टी कानून लागू कर दिया गया है जिसमें आन लाईन ही सारा कार्य किया जाता है। साथ जी एस टी कानून में कही भी अधिवक्ताओं की अनिवार्यता नहीं रखी गई है। इसलिए 1 जुलाई 2017 से कोई भी टैक्स का अधिवक्ता वकालतनामा नही लगा पा रहा है। जी एस टी कानून में कोई भी नोटिस जारी होती है तो आन लाइन होती है और करदाता व्यापारी के दिए गए मेल एड्रेस और मोबाइल नंबर पर ही भेजी जाती है। जारी नोटिस का ज़बाब भी आन लाइन दिया जाता है।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने पत्र में उल्लिखित किया है  कि जी एस टी कानून में ऐसा कोई असेसमेंट आर्डर भी पारित नही होता जिसमें टैक्स की वकालत करने वाले अधिवक्ताओं का नाम ही लिखा जाए। जबकि जी एस टी में कर अधिवक्ताओं की अनिवार्यता लागू करने के लिए प्रदेश के कर अधिवक्ताओं और कर अधिवक्ता संघों द्वारा कई बार पत्र व्यवहार किया गया परंतु केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा इसका कोई संज्ञान अभी तक नही लिया गया जिसके कारण टैक्स अधिवक्ताओं का भविष्य अंधकार मय हो गया है। जी एस टी कानून में अधिवक्ताओं का कोई विधिक स्थान ना होने के कारण बहुत से अधिवक्ताओं ने टैक्स की वकालत तक छोड़ दी है और जो टैक्स अधिवक्ता कार्य कर भी रहे है तो बिना किसी विधिक अधिकार और स्थान के। ऐसे में विगत चार वर्षो का वकालत करने का कौन सा प्रमाण सी ओ पी रिनुअल में टैक्स अधिवक्ताओं द्वारा दिया जाए यह बहुत ही विचारणीय और गंभीर तथ्य है। श्री मिश्र ने निवेदन करते हुए मांग की है कि प्रदेश के लाखो टैक्स अधिवक्ताओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए टैक्स की वकालत करने वाले अधिवक्ताओं के लिए सी ओ पी रिनुअल में शिथिलता बरतने की कृपा करे जिससे टैक्स अधिवक्ताओं का सी ओ पी रिनुअल सहजता से हो सके। इस हेतु प्रदेश के लाखों टैक्स अधिवक्ता आपके आभारी रहेंगे।

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