"महिला दिवस" दस दोहे

"महिला दिवस" दस दोहे
महिला पूजित है जहाँ, करते देव निवास।
लक्ष्मी रहती संग खुशी, होता सर्व विकास।।1
महिला मन मालिन्य मत, करो किसी भी रूप।
देती काया हो मुदित, पीड़ा पर है धूप।।2
महिला प्रतिनिधि सृष्टि की, रचना का आधार।
इन्हें हृदय से आप दें, आदर प्रेम अपार।।3
जहाँ खुश महिला रहें, वह घर मंदिर धाम।
बढ़े सुयश विश्वास धन, शांति हो वासर शाम।।4
रहे क्लेश न भवन में, अगर चाहते आप।
न दें भूले से कभी, महिला को संताप।।5
महिला माटी मातृ भू , का करिये सम्मान।
कुल कलत्र इससे बढ़े, हों प्रसन्न भगवान।।6
जिस घर में अपमान हो, नारी का दिन रात।
समझो आयेगा नहीं, हँसता कभी प्रभात।।7
द्रुपदसुता अपमान ने, कौरव किया विनास।
रहा उठाने को नहीं , बाकी कोई लाश।।8
एक चूक लंकेश की, लंका बनी मसान।
शाप सिया कुण्ठित हुई, सारी शक्ती बान।।9
मां भगिनी संग भार्या , दुहिता को दें प्यार।
निश्चित होगी उन्नती, नष्ट शरीर विकार।।10

- डाॅ0 रामसमुझ मिश्र अकेला 

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