साक्षात्कार- बिहार न्यूज के संपादक/शिक्षक/युवा कलमकार विक्रांत ठाकुर ने अपना जन्मदिन 10 दिसंबर 2022 को मकस कहानिका की उप सूचना प्रभारी शिखा गोस्वामी और ग्वालियर किरण की रिपोर्टर प्रतिभा जैन के साथ बड़ी ही धूम धाम से मनाया और इस अवसर पर उन्होंने अपनी जिन्दगी से जुड़े कुछ राज भी साझा किए। प्रस्तुत है बात-चीत के मुख्य अंश-

साक्षात्कार- 
बिहार न्यूज के संपादक/शिक्षक/युवा कलमकार विक्रांत ठाकुर ने अपना जन्मदिन 10 दिसंबर 2022 को मकस कहानिका की उप सूचना प्रभारी शिखा गोस्वामी और ग्वालियर किरण की रिपोर्टर प्रतिभा जैन के साथ बड़ी ही धूम धाम से मनाया और इस अवसर पर उन्होंने अपनी जिन्दगी से जुड़े कुछ राज भी साझा किए। प्रस्तुत है बात-चीत के मुख्य अंश- 
प्रतिभा जैन- नमस्ते विक्रांत जी, आज आप अपना कौन सा जन्मदिन मना रहे हैं? 

जी आज मैं अपना 44 वां जन्मदिन मना रहा हूँ और आभार व्यक्त करता हूँ उन सभी लोगों का जिनका सहयोग मुझे बराबर मिलता रहता है। 


शिखा- आज के दिन क्या- क्या खास करेंगे? 

सर्वप्रथम अपने माता- पिता के फोटो के सामने खड़े होकर उनको नमन करूंगा फिर ईश्वर को धन्यवाद दूंगा और अपने पूरे परिवार के साथ ही सभी सहयोगियों तथा अपने जीवनसंगिनी को आभार व्यक्त करूँगा जिनका सहयोग मुझे हमेशा मिलता रहता है। उसके बाद मै अपने विद्यालय में बच्चों के साथ अपना जन्मदिन मनाउंगा। 

प्रतिभा- आपकी नित्य दिनचर्या क्या है? 

  प्रतिदिन सुबह उठने के बाद ईश्वर को याद करके अपने दिन की शुरुआत करते हैं और अपने विद्यालय जा कर बच्चों के साथ अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहते हैं। इसके साथ हीं साहित्यिक गतिविधियां और पत्रकारिता का काम भी बचे हुए समय में करता हूँ तथा रचनाएं भी लिखता हूँ। जो यदा-कदा पत्र पत्रिकाएं तथा साझा संग्रह में प्रकाशित होते रहते हैं। 

शिखा- आप अपनी एक इच्छा बताइये जो आप हम सबके साथ शेयर कर करना चाहते है?

मैं चाहता हूँ कि मेरा देश शांत रहे तथा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहें। साथ हीं यहां के लोग एक दूसरे के सुख-दु:ख मे दिल खोलकर दिल से सहायता करें। मेरा देश दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की करे। मैं भी इसी देश का निवासी हूँ, जब देश प्रगति करेगा तो मैं भी प्रगति करूंगा और अपने जिला तथा राज्य का नाम पूरे देश में ऊंचा करना चाहता हूँ। अब तक मुझे जो भी सम्मान मिला है वह मेरे माता- पिता को समर्पित है। साथ ही आगे भी उन्हीं के आशीर्वाद से अच्छा करता रहूँगा और उनका नाम रोशन करता रहूँ, यही मेरी हार्दिक इच्छा है। 

प्रतिभा- आपका यादगार दिन कौन सा है?

जिस दिन मुझे विश्व भोजपुरी परिषद द्वारा सम्मानित किया गया और घर आते ही माँ ने प्यार से गले लगाकर माथा चूम लिया। वह दिन मेरे जेहन में आज भी याद है। दूसरा जब मैं राष्ट्रीय प्रतिभा स्वर्ण मयूर सम्मान के लिए चयनित किया गया तथा भारतीय पोस्ट के माध्यम से जब सम्मान मेरे घर पहुंचा और मेरी मां ने देखा तो एक बार फिर मुझे गले लगा कर माथा चूम लिया और आशीर्वाद स्वरुप मुझे कहा कि बेटा इसी तरह आगे बढ़ते रहो। उनका आशीर्वाद आज भी हमेशा मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहता है। 

शिखा- आपको अगर 3 इच्छाएं पूरी करने का मौका मिले तो क्या- क्या करेंगे? 

मेरी पहली इच्छा है कि अगर मुझे मौका मिला तो, सबसे पहले अपने समाज के हित के लिये कुछ बड़ा योगदान दे सकूं जिसके लिए मैं खुद पर गर्व कर सकूँ। मैं खुद का एक साहित्यिक संगठन बना सकूँ जिसमें वो सारे लोग जो साहित्य के दुनियां में अपना योगदान दे सकें। जो कहीं ना कहीं किसी वजह ही पीछे रह जाते हैं। साहित्य की दुनिया में कुछ ऐसा कर सकूं जिससे मेरे कलम की आवाज आम जन तक पहुंच सके।
मेरी दूसरी इच्छा यह है कि साहित्य की दुनिया में जो भी विद्वान हैं मैं हर उस इंसान से मिल सकूं और उनका एक्सपीरियंस ले सकूं ताकि मैं दुनिया में उनसे सीख कर और भी अच्छा कर सकूं। 

और मेरी तीसरी इच्छा है कि मैं चाहता हूँ कि मेरा परिवार हमेशा मुझ पर गर्व करें। मैं अपने भाइयों का हमेशा सहयोग कर सकूं और उनके साथ चलकर समाज को एकता में बल होने का संदेश दे सकूं और समाज सिर्फ इस बात को माने नहीं इस पर विश्वास भी करे।

प्रतिभा- आज आप एक प्रसिद्ध शिक्षक और लेखक हैं क्या आप बचपन से ही शिक्षक और लेखक बनना चाहते थे? 

बचपन में जब मैं पढ़ता था और अपने शिक्षक को देखता था तो मेरी भी  इच्छा जगी कि मैं भी बड़ा होकर  जरूर शिक्षक बनूंगा। मगर जब आगे बढ़े और दसवीं के बाद मेरी इच्छा रेलवे में नौकरी करने की जगी और लगातार मैंने रेलवे की नौकरी के लिए आवेदन करना शुरू कर दिया। एक-  दो जगह शुरुआती दौर में सफलता भी मिली मगर नौकरी तक नहीं पहुंच पाया। उसी दौरान वर्ष 2003 में जब मेरे राज्य में शिक्षक की भर्ती निकली तो मैंने शिक्षक के लिए पहली बार आवेदन किया और पहले ही प्रयास में मेरा चयन शिक्षक पद के लिए हो गया। मैंने बचपन में जो सपना देखा था वह पूरा हो गया। आज मैं भी एक  शिक्षक हूँ। पत्रकारिता का शौक मुझे उस समय जगी जब मैं किसी सभाओं में देखता था कि पत्रकार आगे गणमान्य लोगों के पास जाकर उनका साक्षात्कार ले रहे हैं। उस दौरान मेरी भी इच्छा जगी कि मैं भी पत्रकारिता करूं, और धीरे-धीरे मैंने कोशिश किया और शुरुआती दौर में मुझे एक एक सप्ताहिक पत्रिका में जगह मिली। धीरे-धीरे कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लिखना शुरु कर दिया।और उनके साथ ही कईें लोगों से भी जुड़ा रहा। इस दौरान कई बड़े-बड़े लोगों के साक्षात्कार लेने का भी मौका मिला और आज तो मेरा अपना मीडिया हाउस बिहार मीडिया नेटवर्क है जिसके माध्यम से मैं बड़े बड़े ज्ञानी महात्मा और नेताओं का साक्षात्कार  लेते रहता हूँ। 

शिखा गोस्वामी- आपका क्या सपना  है? 

एक अच्छा लेखक चाहता हैं कि उनकी कलम कि पहचान आम जन तक हो। मेरी भी इच्छा यही है कि मेरी रचनाएं भी आमजन तक पहुंचे तथा उन्हें अपनी रचना के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका और देशभक्ति की भावना को भरता रहूं।

प्रतिभा- आप लेखन के साथ -साथ और क्या करते हैं ?

मैं लेखन के साथ पत्रकारिता, शिक्षण कार्य के साथ ही विभिन्न सामाजिक आयोजनों में बढ़-चढ़ कर भाग लेता रहता हूं जिसके लिए मुझे विभिन्न मंचों से सम्मानित किया जाता रहा है। 

प्रतिभा - आपका पहला साहित्य गुरु कौन है? 

मेरे पहले साहित्यिक गुरु डॉ. मन्नू  राय जी हैं। उनके साथ हीं अंतर्राष्ट्रीय हिंद देश परिवार की संस्थापिका और मुहबोली बहन डॉ अर्चना पांडेय "अर्चि" जी का सहयोग और मार्गदर्शन बराबर मिलते रहता है। 

शिखा गोस्वामी- अपने परिवार के बारे में कुछ बताएं? 

मेरे परिवार में हम चार भाई और एक बहन है। बहन की शादी हो चुकी है।हम सभी भाइयों का परिवार अभी तक संयुक्त है। पिताजी का निधन 17 अगस्त 2012 को हो गया, जबकि माताजी का साथ भी इसी वर्ष 4 जनवरी 2022 को छूट गया। मेरी पत्नी मध्य विद्यालय में शिक्षिका हैं, एक बेटा है जो मेडिकल की तैयारी कर रहा है। 

प्रतिभा - साहित्य के प्रति लगाव कब हुआ और आप कैसे सम्पादक बनें? 

वर्ष 2001 में एक छोटे पत्रकार के रूप में अपने पत्रकारिता की शुरुआत किया। धीरे- धीरे अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं में लिखते- लिखते ख्याल आया कि मुझे भी अपना मीडिया हाउस शुरू करना चाहिए जहां से मैं नए एवं उभरते पत्रकारों को मौका दे सकूं। और उसी का परिणाम है कि मैं राइजिंग बिहार नाम से अपना वेब पोर्टल बनवाया और यूट्यूब चैनल की शुरुआत किया। जिसमें मै, कई नए पत्रकारों के साथ काम कर रहा हूं। इसके साथ ही एक सप्ताहिक समाचार पत्र को आर एन आई रजिस्ट्रेशन कराने हेतु अपने जिला मुख्यालय से सारी कार्यवाही पूरी कर दिल्ली भेज चुका हूँ और इस प्रकार पत्रकारिता करते- करते एक पत्रकार से संपादक बन गया। 

शिखा गोस्वामी- साहित्य के इस सफर में आपको किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा? 

साहित्य के सफर को जब मैंने शुरू किया तो समझ नहीं आ रहा था कि क्या करना है जिसके कारण कुछ मुश्किलें सामने आई। मगर जैसे ही मुझे मेरे साहित्यिक गुरु डॉ मन्नू राय जी का सानिध्य मिला। उनके मार्गदर्शन में परेशानियां दूर होते गए और उसी का परिणाम है कि मैं आज इस मुकाम पर हूं। मैं धन्यवाद देता हूं अपने माता- पिता, गुरु, मार्गदर्शक़ तथा साहित्यिक गुरु का जिनके मार्गदर्शन में मुझे साहित्यिक क्षेत्र के डॉक्टरेट की मानद उपाधि "विद्यावाचस्पति" सम्मान मिल रहा है। 

प्रतिभा - आपकी प्रेरणा कौन है? 

मेरी प्रेरणास्रोत मेरे माता-पिता और गुरु रहे हैं ।

शिखा गोस्वामी- आगे क्या करने की सोच रखते हैं आप? 

अपनी लेखनी के माध्यम से लोगों में अच्छी भावना, उच्च विचार तथा देश प्रेम की भावना को जगाए रखना तथा जन- जन की आवाज को अपनी लेखनी के माध्यम से आगे लाना चाहता हूँ। 

प्रतिभा- नये रचनाकारों को क्या संदेश देना चाहेंगे आप? 

नए रचनाकारों को यही संदेश दूंगा कि आप अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहें, सफलता जरूर मिलेगी। एक कहावत है- "करत- करत अभ्यास ते  जड़मति होत सुजान, रस्सी आवत जात से सिल पर परत निशान।" 
इसका मतलब यह है कि लगातार अभ्यास करने से जड़मति अर्थात पत्थर के समान महा मूर्ख इंसान भी महान बन सकता है जैसे कुआँ में रस्सी के आने जाने से उसके पत्थर के जगत पर भी निशान पड़ जाते हैं। उसी तरह आप भी लगातार प्रयास करते रहें, सफलता आपके कदम चूमेगी।

प्रतिभा - आपको कविता, कहानी, शायरी, गीत में से सबसे ज्यादा लिखने में क्या अच्छा लगता है? 

मुझे कविता लिखना अच्छा लगता है और आज तक मेरी जितनी भी रचनाएं लगी है, सब कविता है और साझा संकलन में मेरी कविताएं ही लगी हैं। 

शिखा गोस्वामी- आप जब लेखन के क्षेत्र में आऐ तो आपको बहुत से अनुभव प्राप्त हुए होंगे, बहुत से ऐसे लोग जिन्हें आप पहले कभी नहीं जानते थे, लेखन के क्षेत्र में आने में क्या आपको ऐसे लोग मिले जो आपके दिल के बहुत खास हो गए? 

जब लेखन के क्षेत्र में आए हैं तो सर्वप्रथम मुझे डॉक्टर मन्नू राय जी और डॉक्टर जनार्दन सिंह जी का सानिध्य मिला। ये दोनों लोग बड़े साहित्यकार हैं और उसके बाद डॉ अर्चना पांडे "अर्चि" जी का सानिध्य  मिला और धीरे-धीरे साहित्यिक गतिविधियों में रुझान बढ़ते गया। जिसका परिणाम है कि आज मैं इस स्तर तक पहुंचा। 

प्रतिभा जैन- आपने जब लेखन कार्य शुरू तब क्या लिखा था  कहानी, कविता या गजल? 

मैंने सर्वप्रथम कविता लिखा। 

शिखा गोस्वामी- आपने अपनी पहली रचना कहा भेजी थी?

मेरी पहली रचना मेरी पहली पुस्तक दिल चाहता में प्रकाशित हुई। 

प्रतिभा जैन- आपको पहले किसका सपोर्ट मिला था लेखन कार्य शुरू करने के लिए या किसी को हराने के लिए आपने अपनी लेखन की रफ्तार को बढ़ाया? 

कुछ लेखकों को देख के मुझे कविता लेखन का शौक जगा और मैं लिखना शुरु कर दिया, मैं किसी को हराने या पीछे छोड़ने के लिए नहीं, बल्कि अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए लेखन को शुरू किया, इसके लिए मेरी किसी से भी प्रतिस्पर्धा नहीं थी। 

शिखा गोस्वामी- साहित्य के क्षेत्र में बहुत से लोग टाइम पास या किसी की मेहनत चुराने को आते हैं? आपको ऐसा कोई पर्सन मिला क्या? 

नहीं, अब तक मुझे ऐसे किसी भी व्यक्ति से मुलाकात नहीं हुई। 

प्रतिभा जैन- आज आप हजारों सम्मान जीत चुके हैं आपका पहला सम्मान कौन सा है और किसने दी? कहाँ मिली? 

मुझे सबसे पहले विश्व भोजपुरी परिषद ने विश्व भोजपुरी सम्मेलन का आयोजन भी कराया था, बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रोफ़ेसर वीरेंद्र नारायण सिंह देवरिया के प्रशासनिक पदाधिकारी उमेश पटेल तथा आरा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लालबाबू छपरा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लाल बाबू यादव के हाथों मुझे सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में आयोजित हुई थी। 

शिखा गोस्वामी - आपको सबसे ज्यादा खाने में क्या पसंद है? 

मुझे मीठा और तीखा खाना दोनों पसंद है।

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