सोच

सोच
मैं जब भी तुम्हें ऑनलाइन देखती हूं
सोचती हूं काश दो पल बात हो जाए,
पुरानी बातें फिर ताजा हो जाएं,
कुछ खट्टी -मीठी नोक झोंक हो जाए,
अब न ही  शब्दों की तलवार,
न ही तुम अब मौन रहो,
बस दिल की बातें
और धड़कनो की आवाज़ हो
मेरी शायरी तेरे कमेंट हो
दिन भर चैट,
रात को कॉल हो।

रचनाकार - प्रतिभा जैन
टीकमगढ़, मध्य प्रदेश

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