आधी आबादी अपनी ऊर्जा को शिक्षा अभियान के लिए साथ आ जाये, सर्व शिक्षा अभियान का सपना अपना होगा : डॉ सत्य प्रकाश, वैज्ञानिक, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

आधी आबादी अपनी ऊर्जा को शिक्षा अभियान के लिए साथ आ जाये, सर्व शिक्षा अभियान का सपना अपना होगा : डॉ सत्य प्रकाश, वैज्ञानिक, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

वाराणसी : 

 विश्व महिला दिवस के अवसर पर जब हम नारी सशक्तिकरण की बात करते हुए पूरे समाज को अग्रगामी देख रहे हैं तब हम सभी का यह दायित्व है इस सुंदर अभियान के माध्यम से देश की मूलभूत आवश्यकता अशिक्षा और बेरोजगारी से लड़ाई में नारी शक्ति का समुचित सदुपयोग करें।
 विगत कुछ वर्षों से नारी सशक्तिकरण की आवाज को जो आयाम मिला है, उसकी प्रशंसा होनी ही चाहिए  परंतु एक निश्चित उद्देश्य के अभाव में यह सशक्तिकरण मात्र एक नारा बन कर रह जाता है। नारी शक्ति का सशक्तिकरण और  वैश्विक समाज में  उसके द्वारा किए जा रहे कार्यों को यदि किसी कार्यक्रम ने पिछले 2 वर्षों से प्रचार प्रसार किया है, तो उसमें डॉक्टर सत्या होप टाक अभियान का बहुत बड़ा योगदान है। श्रृंखलाबद्ध विभिन्न विषयों पर कार्यशाला का आयोजन करना तथा शिक्षा अभियान में नारी शक्ति का सदुपयोग करना एक आकर्षण का विषय रहा है इस मंच के प्रति महिलाओं के जुड़ने का, जिसका अनुभव सभी ने किया है। नारी शक्ति के  सम्मान और गौरव का ध्यान रखते हुए एक अनुज्ञा कार्यक्रम की रचना की गई है, जिसमें प्रमुखता से नारी शक्ति को ही उसकी दूसरी शुरुआत के लिए प्रेरणा देने के साथ-साथ उसको अभियान का भाग बनाया जाता है। वर्तमान में बच्चों के शिक्षा कार्यक्रम, युवाओं के लिए मोटिवेशन, तथा वरिष्ठ लोगों के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट कार्यशालायें, सतत रूप से चल रही हैं, जिनमें 80% महिलाओं की अभिव्यक्ति ही आ रही है। पिछले 70 सालों से जिस शिक्षा क्रांति की अपेक्षा करते हुए देश ने सर्व शिक्षा अभियान को संसाधन मुहैया कराए हैं, और पिछले 2 वर्ष में ऑनलाइन एजुकेशन के आने के पश्चात नारी शक्ति का उसमें सदुपयोग किया गया है; आने वाले समय में सर्व शिक्षा अभियान का सपना निश्चित ही पूरा होने की उम्मीद बढ़ गई है। इंटरनेट के माध्यम से देश के कोने कोने में संसाधन की पहुंच तथा उसका सदुपयोग करने की प्रवृत्ति का बढ़ना, बच्चों से लेकर वरिष्ठ लोगों के बीच में सोशल मीडिया के माध्यम से शिक्षा  अभियान में रुचि लेना तथा, आधी आबादी की हिचक को तोड़कर, बाहर निकल कर अपनी बात को खुल कर रखने की प्रवृति ने अनेकों महिला समीक्षाअधिकारी, वक्ता तथा साहित्यकार दिया है। आने वाले 10 साल में, यही कार्यक्रम एक देश के लिए एक नई उम्मीद देने के लिए तैयार है।
 10 साल पहले, 2012 में ना तो इंटरनेट की पहुंच इतनी अधिक थी, और ना ही  ऑनलाइन एजुकेशन के माध्यम से किसी भी शिक्षा कार्य को अपनाया जा रहा था। परंतु पिछले 2 वर्षों में ऑनलाइन की मान्यता ने घर-घर को इस व्यवस्था को सीखने और उपयोग करने के लिए बाध्य कर दिया है। आज सोशल मीडिया का जिस प्रकार से सदुपयोग, अपनी पहुंच को किसी खास उद्देश्य को बनाने के लिए हो रहा है, उसका  प्रभाव शिक्षा अभियान पर भी पड़ रहा है। कार्यक्रम से जुड़े 200 से ज्यादा सदस्यों में से युवा महिलाओं की संख्या अधिक होना तथा पूरी जिम्मेदारी से सप्ताह में 5 दिन से अधिक बार अपनी प्रस्तुति को विभिन्न कार्यक्रमों में बनाए रखना, आने वाले समय में नारी सशक्तिकरण और उद्देश्य के अनुरूप शिक्षा और स्वरोजगार के कार्यक्रम को अमलीजामा पहनाता हुए दिख रहा है।
 वैज्ञानिक होने के कारण, काशी हिंदू विश्वविद्यालय का अनुभव जो पिछले 14 वर्षों का रहा है, माननीय ट्रायल का; उसके अनुसार इस परिकल्पना के स्थापित हो जाने के बाद , इसमें वैल्यू एडिशन करके प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। विश्व महिला दिवस के दिन विशेष शुभकामना देते हुए सभी अनुज्ञा सदस्यों को उनकी इस खास पहल के लिए बधाई देते हैं।

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