क्रान्तिकारी अजीजन बाई : प्रभा दुबे

क्रान्तिकारी अजीजन बाई : प्रभा दुबे 

इतिहास  मे अजीजन का,
यदि उल्लेख  नही  होगा, 
स्वतंत्रता संग्राम का संग्रह, 
सार्थक सम्पूर्ण नही होगा।

जिस साहस शौर्य का परिचय, 
दिया अजीजन बाई ने,
क्या उसकी  कुर्बानी कम थी,
पद्मिनी के जौहर  से  ।

कानपुर कोठे की बाई, 
गीत गाती  मन बहलाती,
जब देश प्रेम की आग लगी,
उतार  घुँघरू तलवारे पकड़ी 

अंग्रेजो का मनोरंजन करती
बेधड़क छावनी मे जाती 
गुप्तचरी का काम संभालती, 
गोपनीय  बातो को लाती ।

पुरुष  का वेश वह बनाती,
घुडसवारी वह करती,
पीडित परिवारो  का पोषण करती,
मर मिटने को तैयार  रहती।

उसने महिला मंडली बनाई
चतुरता चपलता उन्हे सिखाई,
मंडली  को महत्व दिया जाता,
इन्तजार सदा उसका रहता


मरदाने कपड़े वह पहनती, 
बंदूक ले घोड़े दौडती,
नागरिक सम्मान वह पाती,
बुजुर्गो की आषीशे पाती।

अजीजन प्रिय  थी सबकी,
धुन थी कर्तव्य निभाने की,
देश स्वतंत्रता की चिनगारी,
ज्वाला बनी थी अब भारी।

राजद्रोह का इल्जाम लगा,
छमा उसने ना मागी, 
अंग्रेजो की सेवा स्वीकार नही,
खत्म हो जाए  चाहे जिन्दगी 

अंग्रेजो ने बंदूके तानी,
खड़ी रही वह मस्तानी, 
सीना छलनी हो गया,
जय घोष गगन मे छा गया।
-------------------------------
-प्रभा दुबे,
रीवा, मध्य प्रदेश

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सोनभद्र के परिषदीय विद्यालयों में राज्य परियोजना कार्यालय लखनऊ की टीम ने की गुणवत्ता को जांच

विशिष्ट स्टेडियम तियरा के प्रांगण में विकसित भारत संकल्प यात्रा सकुशल संपन्न

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ बने विश्व के कीर्तिमान