नौगढ़ में निवास करने वाले सभी आदिवासी जातियों को आदिवासी का दर्जा मिलें : अनिल पासवान

नौगढ़ में निवास करने वाले सभी आदिवासी जातियों को आदिवासी का दर्जा  मिलें : अनिल पासवान

 -गोंड व पनिका जाति के लोगों का जाति प्रमाण पत्र न बनना अन्यायपूर्ण है - पतालु गोंड 
- ग्राम पंचायत व वन विभाग की जमीनों का सीमांकन कर विकास योजनाओं को लागू कराए सरकार -रामकृत कोल 

नौगढ़- चंदौली : (जिला ब्यूरो चीफ मदन मोहन की रिपोर्ट)

  नौगढ़ में निवास करने वाले सभी आदिवासी जातियों को आदिवासी का दर्जा दे सरकार उक्त बातें आज दिनांक 3 जनवरी 2022 को अखिल भारतीय खेल एवं ग्रामीण मजदूर सभा के बैनर तले नौगढ़ तहसील मुख्यालय पर एक दिवसीय धरने को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) जिला सचिव कामरेड अनिल पासवान ने कही।
               माले नेता अनिल पासवान ने कहा कि गोंड, पनिका, चेरो खरवार, सहित तमाम आदिवासी जातियों को सोनभद्र में आदिवासी का दर्जा मिला है तो नौगढ़ में क्यों नहीं?चुनाव लड़ने के लिए गोंड व पनिका जाति के लोगों का जाति प्रमाण पत्र बन सकता है तो हमेशा के लिए क्यों नहीं? नौगढ़ तहसील क्षेत्र के लहुराडीह, मझगावा, सुर्रा, जयमोहनी, विशेश्वरपुर, परसिया, बरवाडीह, परसहवां, लक्ष्मणपुर, बजरडीहा, पड़हवा, केसार, धनकुवारी, पड़रिया, गहिला जमसोत, शाहपुर, नोनवट, देउरी, गंगापुर में बसे गोंड, पनिका, खरवार, चेरो सहित तमाम आदिवासी समाज के लोगों के रिश्तेदारी बगल के जिले सोनभद्र के तमाम गांव में है। शादी-विवाह तक होते हैं यहां तक कि नौगढ़ के कुछ लोगों के भाई सोनभद्र जिले में हैं जिन्हें वहां आदिवासी का दर्जा प्राप्त है ऐसी परिस्थिति में जब नौगढ़ के उपरोक्त आदिवासी समाज के लोगों को आदिवासी का दर्जा नहीं मिल पाता तो वे वनाधिकार कानून सहित सरकार द्वारा संचालित अन्य तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं व सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं जो इनके आर्थिक विकास में बड़ी बाधा है।
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि नौगढ़ में  निवास करने वाले तमाम आदिवासी समाज के लोगों को सोनभद्र की तर्ज पर आदिवासी का दर्जा देकर वनाधिकार कानून सहित तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ देते हुए आर्थिक उत्थान किया जाए।
धरने को संबोधित करते हुए कामरेड पतालू गोंड ने कहा कि गोंड,पनिका ऐसी आदिवासी जातियां हैं जिनका जाति प्रमाण पत्र न बन पाने की वजह से बच्चों की पढ़ाई में मिलने वाली सुविधाएं तथा आर्थिक रूप से अत्यंत पिछड़े लोगों को संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण की सुविधाएं व अन्य तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ न मिल पाने की वजह से इनकी हालत और भी दयनीय होती जा रही है,कड़े संघर्ष के बाद सरकार जाति प्रमाण पत्र बनाती है तो केवल चुनाव लड़ने के लिए ही इसके उपयोग का अधिकार देती है जबकि इन्हें जाति प्रमाण पत्र हमेशा के लिए और सर्व उपयोग हेतु बनाया जाना चाहिए।
               सभा को संबोधित करते हुए चर्चित आदिवासी नेता कामरेड राम कृत कोल ने कहा कि नौगढ़ तहसील क्षेत्र के 43 में से 40 ग्राम सभाएं ऐसी हैं जहां ग्राम पंचायत व वन विभाग की जमीनों का सीमांकन व चिन्हांकन न हो पाने से जब भी ग्राम पंचायतें या नागरिकों द्वारा कोई विकास कार्य किया जाता है तो वन विभाग बार-बार रोक देता है जिससे क्षेत्र व ग्रामीणों के विकास में भारी बाधा पैदा हो रही है और टकराहट बढ़ने से अशांती की संभावना जन्म लेती है जरूरत है सरकार द्वारा ग्राम पंचायत व वन विभाग की जमीनों का सीमांकन कर विकास योजनाओं को लागू करने कि व वन विभाग द्वारा अवरोध पैदा करने की कार्यवाही पर रोक लगाने की।
         उन्होंने कहा कि वनाधिकार कानून को लागू करते हुए नौगढ़ क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी बनवासी व अन्य परंपरागत वनवासियों को साढ़े चार एकड़ जमीन का मालिकाना हक दिया जाना अत्यंत आवश्यक है जो करने की बजाय सरकार नक्सल उन्मूलन  के नाम पर आए धन की लूट को बढ़ावा दे रही है।
मार्च को  कामरेड श्रवण यादव,मुन्नी गोंड, रामकृत कोल, हरगेन यादव, रामप्यारे गोंड,कलावती देवी,रामचंद्र,राजाराम सहित तमाम वक्ताओं ने संबोधित किया।
अध्यक्षता कामरेड सोमारू गोंड ने किया।
                    

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