आइये पढ़ते हैं नंदिनी लहेजा द्वारा लिखी रचना- संस्कार

आइये पढ़ते हैं नंदिनी लहेजा द्वारा लिखी रचना- संस्कार 
 
                संस्कार
यहाँ देश को केवल देश नहीं माता कहकर है पुकारा जाता
यहाँ गईया हो या हो नदियां, मैया की तरह पूजा जाता,
सैकड़ों वर्ष पुरानी संस्कृति लिए है वेद पुराणों का देश महान,
हर भारतवासी के संस्कार ही तो हैं।     इस देश की आन, बान और शान।
शिशु के जन्म लेते ही प्रथम शहदपान करा,
 सदैव मीठा बोलने के संस्कार की शुरुआत है होती,
 माता-पिता और सब बड़ों को मान ईश तुल्य चरणस्पर्श की शिक्षा दी जाती।
गुरु का होता सर्वोच्च स्थान, जिनसे मिलता विद्यादान,
उन्हें गुरु दक्षिणा है दी जाती। 
 यहाँ रिश्ते केवल न हो नाम के, इनमें  प्रेम भी अटूट बसता है,
सदा बड़ों का सम्मान छोटों को प्रेम,  आपस में सदभाव ही रहता है।
बड़ों के दिए संस्कारों की बदौलत ही न रिश्तों में कड़वाहट घोलेंगे,
कोई जात धर्म ऊँचा नीचा नहीं, सब एक ही देश के वासी हैं।
हर धर्म है यहाँ एक समान हम सब भारत वासी हैं,
ना लड़ेंगे धर्म के नाम पर, ये हमारे संस्कार नहीं।
मिलकर लड़ेंगे अपने वतन के लिए हम भारत वासी, यह छोटी बात नहीं।
हमारे संस्कार हमारी, हमारे देश की पहचान है,
जिसे हमें सदैव स्वयं में जीवित रखना है।

लेखिका- नंदिनी लहेजा
रायपुर, छत्तीसगढ़

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