तौ हमसे बात करौ : कवि विवेक अज्ञानी

तौ हमसे बात करौ : कवि विवेक अज्ञानी 
   
     वार्तालाप (केवल मनोरंजन हेतु )

आऊँ खेत माँ भैंस चरा कै देखाऊ तौ हमसे बात करौ।
जेठ के घाम मा खड़ा रहिकै देखाऊ तौ हमसे बात करौ।
सावन के सुहानी बारिश मा भीजत हौ शौख से।
कब्भौ आषाढ़ बरसय भीज कै देखाऊ तौ हमसे बात करौ।

ई ऊपर से बहुत धर्मात्मा बने घूमत हौ जौन।
छुट्टा जंतु का पानी पियाय कै देखाऊ तौ हमसे बात करौ।

बहुत खायो पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन, नूडल, मैगी।
अब चूल्हक रोटी सरसौ क साग खवाऊ तौ हमसे बात करौ।

अरे तू पिए लागेव कोका कोला, स्प्राईट, थम्सप।
हमका मटकी कै मट्ठा पियाय कै देखाऊ  तौ हमसे बात करौ।

समझत हौ ई अंग्रेजी, उर्दू, अरबी, फ़ारसी भाषा।
चलौ गौमाता कै भाव समझ कै देखाऊ तौ हमसे बात करौ।

हियाँ शहर मा घूमत हैं सब मनइ कै नकाब पहिरे।
यहमा कोई इंसान चीन्ह कै देखाऊ तौ हमसे बात करौ 

अरे अपने जीवन मा कमायौ तू खोब पैसा।
पर कतना व्यवहार कामायौ देखाऊ तौ हमसे बात करौ।

तोहरे बराबर नहीं पर थोऱै पढ़े लिखे हमहु हन।
पर जहाँ पर हम खड़ा हन आय कै देखाऊ तौ हमसे बात करौ।

हिया घूमेव बहुत चिड़ियाघर औ पार्क बड़े बड़े।
लेकिन खुले खेत कै हमै शैर कराऊ तौ हमसे बात करौ ।
चलौ छोड़ौ और आगे घर कै हाल चाल कहौ।
अम्मा बप्पा लड़केन भौजी कै हाल बताऊ तौ हमसे बात करौ।

-कवि विवेक अज्ञानी 
गोंडा, उत्तर प्रदेश, भारत

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