डॉ अरुणा पाठक द्वारा लिखी रचना- वर की खोज (दुल्हा बिकता है) एक व्यंग, पूरा पढ़ें

वर की खोज (दुल्हा बिकता है) एक व्यंग, पूरा पढ़ें      
अरे-अरे!  ये मैं कहां आ गई? जिधर नजर जा रही है... बाजार ही बाजार, वाह- वाह कपड़े ही कपड़े हैं... अरे यहां तो हर तरह की वैरायटी है महंगे से महंगे सुंदर से भी सुंदर दुकानें भी, कितनी मनोहर और सामान से भरी हुई खूबसूरत दिखाई देती है।

क्या ले लूं, मैं यह वाला सूट ले लूँ  वह कितनी सुंदर साड़ी है, हर चीज देखने के बाद लग रही है अभी और देख लें क्योंकि जितनी सुंदर चीज बाकी है और भी चीजें हैं एक से एक बढ़कर मन में जिज्ञासा बढ़ती जा रही है यह कौन सी जगह है।

 सारे सामान एक जगह, घर - गृहस्थी के सामान, हर तरह की चीजें, ऑल वैरायटी उपलब्ध है। मन में जिज्ञासा बढ़ती जा रही है। थोड़ा आगे जाने पर तरह-तरह की दुकानें तरह-तरह के सामान देखकर मन प्रफुल्लित होते जा रहा है सोने चांदी की दुकानें मेकअप का सामान जूते चप्पल कपड़ों की दुकान है किराने की दुकान देख कर मैं बाहर से ही आगे बढ़ती जा रही थी सोच रही थी पहले एक बार चारों तरफ घूम लिया जाए इसके बाद  निर्णय करेंगे।
मन की जिज्ञासा रुकने का नाम ही नहीं ले रही है सभी मनभावन वस्तुओं को देखकर मन गदगद् हुआ जा रहा है लग रहा है जैसे यह बाजार सिर्फ मेरे लिए ही लगाया गया है।
 इतना कुछ  यहां और मुझे तो कुछ भी लेने बाहर जाने की जरूरत ही नहीं जो भी चाहिए सब यहां उपलब्ध है पर क्या लूं मैं और क्या छोड़ दूं ?ऐसा सोचते हुए आगे मेरे कदम बढ़ते जा रहे हैं और एक लालसा भी मन में बढ़ती जा रही है।
पूरा बाजार में घूम घूम कर देखते जा रही थी और मन में आनंद और उल्लास से सामानों को निरखते परखते देखते हुए चली जा रही हूं 
अरे यह क्या है! चारों तरफ शीशे शीशे से दिखाई दे रहे हैं बीच में उनके सजे धजे पुतले भी खड़े हुए हैं पास जाकर देखें।
मेरी उत्सुकता उन्हें देखने को बढ़ती ही जा रही है चारों तरफ शीशे में सजे हुए पुतले दिखाई दे रहे हैं मैं उनके पास खींची चली गई बाहर देखा तो बोर्ड में लिखा था
 (वर चाहिए बिकाऊ है)
 पढ़कर बड़ा आश्चर्य लगा। क्या यहां पर वर बिकाऊ हैं!
 पास जाकर देखा तो वाकई में सुंदर सुंदर दूल्हे  सजे-धजे खड़े हुए थे
अरे यह क्या लिखा हुआ है उनके शीशे में किनारे गोल्डेन अक्षरों से लिखा हुआ है इन्हें वधू चाहिए।
 पेशा-इंजीनियर 
सरकारी इनकम डबल योग्यता
कद 5 फुट 11 इंच, रंग सांवला 
बधु चाहिए- गोरी लंबी छरहरी पढ़ी लिखी जॉब वाली सुंदर स्मार्ट कन्या के लिए संपर्क करें, मूल्य 25 लाख रुपए।

आगे जाने पर देखा
 पेशा-डॉक्टर खुद का हॉस्पिटल
डॉक्टर कन्या चाहिए 
गोरी सुंदर स्मार्ट वधू चाहिए
 मूल्य 25 से 35 लाख तक 
 संपर्क करें।

मैं आगे बढ़ते कदमों को रोक नहीं पाई, देखने लगी समझने लगी  कि मैं दुल्हा बिकता है बाजार लगा है वहां पर पहुंच गई हो जहां हर कीमत हर वैरायटी हर तरह के दूल्हे हैं कुछ बहुत अच्छी नस्ल वाले कुछ सरकारी जॉब वाले कुछ आईएएस आईपीएस ऊंचे ओहदे वाले लेकिन सभी का मूल्य निश्चित है।

 कुछ तो इतने हाई-फाई रेट के हैं जिनको देखने पर भी डर सा लगता है इतनी ऊंची वैरायटी कभी सपने में भी नहीं सोची थी जैसे यहां पर हैं सभी तरह के सभी प्रकार के दूल्हे बिकाऊ है सब की कीमत है किसी की  ज्यादा तो किसी की थोड़ा कम कीमत सभी की लिखी हुई है।
 ऐसा व्यवस्था बाजार पहली बार देखा है
बड़ा अच्छा लग रहा है क्योंकि दूल्हा को बिकते तो हमेशा से देखा है पर चोरी छुपे पहली बार यहां पर दूल्हा बिक रहे हैं वह भी समाज के सामने सरकार के सामने और सबके सामने नहीं तो लड़की वाले हमेशा पैसे तो देते हैं पर चोरी छुपे जिसका पता सभी को होता है पर कोई कुछ कहता नहीं सीधी सी बात है ।

लड़की वाले जब उनसे पूछते हैं दहेज के लिए  तो वह सिर्फ इतना कहते हैं हमें तो कुछ नहीं चाहिए पर समाज को दिखाने के लिए हमारे हैसियत के हिसाब से आप दे देना मुझे तो दहेज नहीं चाहिए बस आप मेरे ओहदे के हिसाब से खर्चा पानी दे देना।
कितने मां बाप उनके ओहदे के हिसाब से देने के लिए अपने घर तक बेच देते हैं
कितने  कर्ज मैं डूब जाते हैं कुछ लोगों के पास तो  हैसियत होती है वह सब को दिखाते हैं कि उनके पास कितना धन है शादी ब्याह में खर्च कर कर वह अपनी अमीरी दिखाते हैं ।
लेकिन जिनके पास नहीं है वह अपनी सारी पूंजी लगाकर वर को खरीदते हैं।
पहली बार तरह-तरह की वर और उनकी कीमत देख मेरा मन खुश हो गया कम से कम पता तो चला वर की कीमत क्या चल रही है। 

पहली बार तरह-तरह के वर देखे हमने सबसे बड़ी बात एक साथ एक बार में ही सारी वैरायटी खड़ी हुई है यह कौन से वर हैं देखा- आईएएस, आईपीएस, बीआईपी लाइन अलग से बनी हुई है इन लाइनों के पास शीशे भी उच्च वैरायटी के लगे हुए हैं।
इनकी कीमत देखकर तो आंखें आश्चर्य से फटी रह गई इतने कीमती है यह हम तो सोच भी नहीं सकते हैं यह ब्रांडेड कंपनी के हैं इनसे सामान्य जन संपर्क भी नहीं कर सकते इनकी कीमत और इनकी पसंद बहुत ऊंची है फिर भी लड़कियों के लिए बहुत सारे गुण भी लिखे हुए है।

इन्हें देखते हुए हम आगे बढ़ गए यहां किनारे से लाइन में कुर्ता पजामा पहने सफेद झकाझक यह नेता जी लोग हैं जोकि बाहर से उजले अंदर से मैले से दिखाई दे रहे हैं।
यह वर देख कर तो मैंने अपना मुंह फेर लिया क्योंकि यह मोटे काले तोंद वाले वर हैं।
आश्चर्य की बात यह है किसी ने भी यह नहीं कहा कि उन्हें सांवली सुंदर संस्कारों से भरी हुई बेटियां चाहिए, 
हर किसी को वधू गोरी सुंदर स्मार्ट लंबी छरहरी पढ़ी लिखी कन्या सभी को चाहिए, किसी ने भी नहीं लिखा कि उन्हें मध्यम वर्ग की संस्कारी, सुशील गुणों वाली कन्या चाहिए।
गोरा रंग सुंदरता का पैमाना बन गया
पता नहीं क्यों मुझे इस रंग-भेद से बहुत गुस्सा आ रहा था फिर भी मैं आगे बढ़ती जा रही थी जहां जाकर मध्यमवर्गीय वर भी देखें।
सरकारी बाबू
 रेट दस से बीस लाख तक।
विशेषता ऊपरी इनकम अलग से, 
 इन्हें गोरी सुंदर स्मार्ट कम पढ़ी-लिखी कन्या भी चलेंगे पर गोरा होना आवश्यक है।

आगे बढ़ने पर हर तरह के हर वैरायटी के हर रेट के वर यहां उपलब्ध हैं।
मैंने सभी को ध्यान से देखा-  मध्यवर्गीय के बाद शीशे के बाहर भी कुछ वर खड़े हुए थे, पास आकर देखा तब वह है रोज कमाने खाने वाले वर खड़े थे।
इन्हें भी सुंदर कन्या चाहिए और वह खुद भी अपना कमा खा सके क्योंकि यह अपना सब कुछ कमाने के बाद दारू दवा में उड़ा देंगे इसलिए मेहनतकश, मार खाने वाली कन्या जो कम बोले ऐसी कन्या चाहिए।

पूरी तरह जगह- जगह घूमने के बाद मैं सोच रही थी हर वर्ग को विशेष गुण वाली कन्या चाहिए सामान्य लड़की किसी को भी नहीं चाहिए। सभी को विशेष गुणों वाली कन्या!
 ऐसा सोचते हुए मैं आगे बढ़ने लगी।
 और चारों तरफ घूम- घूम कर फिर से आत्ममंथन करने लगी। पहली बार दहेज रूपी दानव का इतना सुंदर स्वरूप दिखाई दिया जिसे देखकर मैं बड़ी विस्मत सी हो रही थी।
क्या दुल्हा बिकता है?
 यह सिर्फ हमारे भारत में ही ऐसी सभ्यता है यह अन्य देशों में भी दूल्हे ऐसे दिखते हैं और बिकते हैं।

 ऐसा सोचते हुए आगे बढ़ती जा रही थी तभी पैर में कुछ ठोकर लगी और नीचे धड़ाम से गिरी आंख खुली तो देखा ही मां ने कोहराम मचा रखा था कब से उठा रही हूँ।
उठ नहीं रही है पता नहीं सुबह- सुबह क्या सपने देखने लगती है। सपना देखने का टाइम है कि काम करने का कॉलेज जाने का भी समय हो रहा है,  जल्दी उठो मेरी तंद्रा खुली पर मैं बड़े आश्चर्य से सोच रही थी क्या जो मैंने देखा वह सच था या सपना ......

डॉ अरुणा पाठक  "आभा"
डॉ सत्या होप टॉक के द्वारा संचालित सत्य नारी शक्ति अनुज्ञा कार्यक्रम की अध्यक्ष

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