नवरात्रि आरम्भ, जानें पूजा विधि एवं महत्व

            🌹नवरात्रारम्भ🌹
हिन्दू माह व पंचांग के अनुसार एक वर्ष में चार बार नवरात्रि आती है। अर्थात् वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र माहिनों में नवरात्रि आती है। यह चार माह पौष, चैत्र, आषाढ और अाश्विन है। जिसमें उपरोक्त प्रत्येक माह की प्रतिपदा यानी एकम् /पहली तिथी से नवमी तक का समय नवरात्रि का होता है। नवरात्रि में नौ दिन रात व्रत रखकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हुए जाप करें तथा आदिशक्ति स्वरुप का चिन्तन, स्तवन करें।
शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 17 अक्तूबर शनिवार से प्रारंभ हो रहा है जो 25 अक्तूबर तक चलेगा। नवरात्रि के समय मां के भक्त नौ दिनों तक उपवास करते हैं। ऐसा करने से भक्तो को माता का आशीर्वाद मिलता है तथा सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्रि के समय दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भी बहुत लाभकारी होता है। इस वर्ष नवरात्रि में 58 साल बाद शुभ संयोग बन रहा है। आचार्य गोविन्द प्रसाद पाण्डेय "ध्रुव जी" के अनुसार गुरू और शनि लगभग 58 साल के बाद अपनी राशि में मौजूद रहेंगे। गुरू की अपनी राशि धनु है और शनि ग्रह की राशि मकर है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह शुभ संयोग कलश स्थापना के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
पाठ/जाप विधि :
नवरात्रि के प्रतिपदा के दिन स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करके शुद्ध-पवित्र आसन पर बैठकर प्राणायाम व संकल्प लेकर घट/ कलशस्थापना करने के बाद मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र की पंचोपचार या दक्षोपचार या षोड्षोपचार से गंध, पुष्प, धूप दीपक नैवेद्य आदि भावपूर्वक निवेदित कर पूजा करें, तत्पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, रुद्राक्ष या तुलसी या चंदन की माला से मंत्र का जाप यथाशक्ति पूर्ण कर मां से अपना मनोरथ कहें, ध्यान दें कि पूरी नवरात्रि पाठ/जाप करने से वांच्छित मनोकामना पूरी होती है।

हर वर्ष नवरात्रि में प्रतिपदा तिथि से नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की अराधना की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। मां दुर्गा की नवरात्रि में पूजा कर उन्हें प्रसन्न और मनचाहा वरदान मांगा जाता है। इस वर्ष पूरे नवरात्रि में चार सर्वार्थसिद्धि योग, एक त्रिपुष्कर और चार रवि योग बनेंगे। इन शुभ संयोगों के अलावा आनंद, सौभाग्य और धृति योग भी बन रहा है। ये शुभ संयोग जमीन में निवेश, खरीद और ब्रिकी के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं।

शुभ मुहूर्त :-
आचार्य गोविन्द प्रसाद पाण्डेय "ध्रुव जी" के अनुसार :-
अभिजीत मुहूर्त सभी शुभ कार्यों के लिए अति उत्तम होता है जो मध्यान्ह 11:38 से 12:23 तक होगा।
स्थिर लग्न कुम्भ दोपहर 2:46 से 3:55 तक होगा, साथ ही शुभ चौघड़िया भी इस समय रहेगी, अतः यह अवधि कलश स्थापना हेतु अति उत्तम रहेगा।
दूसरा स्थिर लग्न वृष सायं 07:06 से रात्रि 09:02 बजे तक होगा, परंतु चौघड़िया 07:30 तक ही शुभ है, अतः 07:08 से 07:30 बजे के बीच में कलश स्थापना किया जा सकता है।

1. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, देवी दुर्गा के पहले रूप यानी शैलपुत्री माता को सफेद रंग का भोग लगाना चाहिए। सफेद रंग के भोग में मक्खन-मिश्री, मखानों की खीर, सवां के चावलों की खीर इत्यादि है।
शैलपुत्री मन्त्र : ॐ ह्रीं शिवायै नम:।

2. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाया जाता है, इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है।
ब्रह्मचारिणी मन्त्र : ॐ ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।

3. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं और और इसी का दान भी करें, ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और सभी दुखों का नाश करती हैं।
चन्द्रघण्टा मन्त्र : ॐ ऐं श्रीं शक्तयै नम:।

4. नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं, इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान कर दें और खुद भी खाएं, इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी हो जाएगी।
कूष्मांडा मन्त्र : ॐ ऐं ह्री देव्यै नम:।

5. नवरात्रि के पंचम दिन स्कन्ध माता की पूजा करके भगवती को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दान दे देना चाहिए, और स्वयं भी खा लेना चाहिए, ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।
स्कंदमाता मन्त्र : ॐ ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।

6. नवरात्रि के षष्ठी तिथि के दिन मां कात्यायनी देवी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है, इस दिन प्रसाद में मधु अर्थात् शहद का भोग लगाना चाहिए इससे साधक को सुंदरता व बल, रूप प्राप्त होती है।
कात्यायनी मन्त्र : ॐ क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।

7. नवरात्रि के सप्तमी तिथि के दिन मां कालरात्रि की पूजा करके मां को गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें,
नवरात्रि के सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए और स्वयं भी खा लेना चाहिए, ऐसा करने से व्यक्ति शोकमुक्त होता है।
कालरात्रि मन्त्र : ॐ क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:। 

8. अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा करके मां को नारियल का भोग लगाएं, नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें, मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
महागौरी मन्त्र : ॐ श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:। 

9. नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की पूजा करके मां को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाऐं जैसे कि- हलवा, चना-पूरी, खीर और पुए और फिर उसे गरीबों को दान करें, इससे जीवन में हर सुख-शांति मिलती है।
सिद्धिदात्री मन्त्र : ॐ ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।


     - हिन्दुस्तान जनता न्यूज की रिपोर्ट 

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