ग्राम्या संस्थान द्वारा चिकित्सकीय गर्भ समापन कानून को लेकर चलाए जा रहे दस दिवसीय अभियान का रहा 5 वाँ दिन

नौगढ़ - चंदौली 
ग्राम्या संस्थान द्वारा चिकित्सकीय गर्भ समापन कानून को लेकर चलाए जा रहे दस दिवसीय अभियान के अंतर्गत पांचवे दिन आज शुक्रवार को क्षेत्र के डुमरिया गांव में लोगों के साथ चर्चा आयोजित की गई।
 
चर्चा के दौरान संस्थान की नीतू सिंह ने बताया कि मात्री मृत्यु दर में बढ़ोतरी को रोकने व असुरक्षित गर्भ समापन के प्रतिकूल परिणाम को रोकने के प्रयासों के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा 1971 में गर्भ समापन कानून लाया गया चिकित्सकीय गर्भ समापन कानून यानी मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेंसी अधिनियम 1971 इस कानून के अंतर्गत महिलाएं कुछ विशेष परिस्थितियों में सरकारी अस्पताल में या सरकार की ओर से अधिकृत किसी भी चिकित्सा केंद्र में अधिकृत व प्रशिक्षित डॉक्टर द्वारा गर्भ समापन करा सकती हैं।
 उन्होंने कहा कि सामान्यतया उत्तर प्रदेश में करीब पचास लाख महिलाएं गर्भवती होती हैं जिसमें करीब छःलाख गर्भ समापन कराती हैं जिसमें स्वतः गर्भपात भी शामिल है कुल मात्री मृत्यु दर में से करीब 8% महिलाओं की मृत्यु  असुरक्षित गर्भसमापन के कारण से हो जाती है ऐसे में इस कानून के बारे में गांव के लोगों को जागरूक किया गया इस दौरान मदन मोहन, रिन्कू, रामविलास, भगवानी, निर्मला, अनीता, सविता आदि लोग शामिल रहे।

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