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चश्मा है तो, जीवंत ज़िंदगी बर्ना : डॉक्टर दयाराम विश्वकर्मा

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चश्मा है तो, जीवंत ज़िंदगी बर्ना :                 डॉक्टर दयाराम विश्वकर्मा मित्रों! कहते हैं कि आँखें हैं तो जहान है, परन्तु मैं तो कहता हूँ यदि चश्मा ही नहीं तो दुनिया ही, बेजान है। जरा सोंचें ! यदि चश्मा ही नहीं, तो दिखेगा क्या?इसलिए लाठी से चश्मे का स्थान सर्वोपरि है। भैया! सचमुच इस अवस्था में बिना चश्मा के तो जीवन ही मृतप्राय है। कहते भी हैं कि यदि वृद्धावस्था में आँख व ठेहुन ठीक से काम करे तो जीवन, अंतिम समय में भी ठीक से गुजर ही जाता है।पहले तो भाई साहब चश्मे   वृद्ध जनों की आँखों की शोभा बढ़ाते थे, आज तो नन्हें मुन्ने बच्चों, बालक युवा अधेड़ जवान बड़े बूढ़ों किसको नहीं, अपने आग़ोश में ले रखा है, हे भगवान! हम सब आज किस काल खण्ड में किस प्रदूषित माहौल में रह रहें हैं, जिसे देखिए उनकी ही दृष्टि दोष, जिधर देखिए उधर इसकी माया, पूरे जहां में दिखे इसकी साया। ख़ैर,,,,,अब किया भी क्या जा सकता है। जीवन है तो दृष्टि दोष को, तो काफ़ूर करने का उपक्रम तो करना ही पड़ेगा? साथियों! बड़ी विचित्र है चश्मों की दुनिया मेरा भी पाला इससे रिटायरमेंट के बाद पड़ ही गया,जैसे सर के बाल कम होना

विराट कवि सम्मेलन में 40 कवियों ने शमां बांधा

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विराट कवि सम्मेलन में 40 कवियों ने शमां बांधा  (शिक्षक के मन के कवि रूप सामने आया : शिवनारायण देवांगन)            शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ के तत्वाधान शिकसा विराट कवि सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन संयोजक डॉ.शिवनारायण देवांगन "आस" के संयोजन, विजय कुमार प्रधान कार्यक्रम प्रभारी के उपस्थिति एवं टीकाराम सारथी "हसमुख" प्राचार्य चुरतेली व सलाहकार के अध्यक्षता मे हुआ।           कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना सारिका बनसोडे सोनी सहा. शिक्षक मदर टेरेसा नगर भिलाई दुर्ग व राजगीत पुष्पांजलि ठाकुर व्याख्याता मुरडोंगरी कांकेर ने प्रस्तुत कर किया।                सर्वप्रथम संस्थापक व संयोजक डॉ.शिवनारायण देवांगन "आस" ने उदबोधन में कहा विराट कवि सम्मेलन आयोजित कर शिक्षक साथियों में छुपे कवि रूप को सामने लाने का प्रयास है जिसमें हम लोग सफल हो रहे है।                 तदपश्चात महासचिव डाॅ. बोधीराम साहू ,संगठन मंत्री राधेश्याम कंवर व कार्यक्रम प्रभारी विजय कुमार प्रधान ने उदबोधन में शिकसा के कार्यक्रम पर प्रकाश डाला।        कार्यक्रम के अध्यक्ष टीकाराम

बेरोज़गारों को रोज़गार दिलाने वाली योजनाएँ व विभाग : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा (पूर्व ज़िला विकास अधिकारी)

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बेरोज़गारों को रोज़गार दिलाने वाली योजनाएँ व विभाग : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा (पूर्व ज़िला विकास अधिकारी) आज कल बेरोज़गारों को रोज़गार देने के उद्देश्य से राज्य व केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएँ संचालित की गयी हैं,परन्तु जानकारी के अभाव में तमाम बेरोज़गार युवा/युवतियाँ इन योजनाओं से वंचित हो जाते हैं,इसी को  देखते हुए लेखक ने उन तमाम बेरोज़गार साथियों के हितार्थ इस लेख का प्रणयन किया है। बेरोज़गारी को समझने हेतु रोज़गार किसे कहते है पर दृष्टि पात ज़रूरी है।आये देखें रोज़गार कहते किसे हैं।रोज़गार या सेवा को आर्थिक क्रिया कलाप माना जाता है।इसके अन्तर्गत कार्य के बदले में बेतन या मज़दूरी प्राप्त होती है।इसे नौकरी या नियोजन के नाम से भी पुकारते हैं।रोज़गार के अन्तर्गत जो कार्य करता है उसे नौकर,कर्मचारी या नियोजित कहा जाता है। कोई व्यक्ति जीवन के विभिन्न कालावधियों में जिस क्षेत्र में काम कराता है,काम करता है उसको उसकी आजीविका या “वृत्ति”या रोज़गार अथवा करियर कहते हैं।आजीविका से ही व्यक्ति जीवकोपार्जन करता है। भारत की गणना आज विश्व में युवा देश के रूप में की जाती है,क्योंकि यहा