अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया शुभफल प्रदायिनी अक्षय तृतीया शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि वैशाख मास में मनाई जाती है। स्वयं सिद्धि इस तिथि से मांँगलिक कार्यों का शुभारंभ विवाह, गृह प्रवेश, नव कार्य सनातन धर्म में इसका बड़ा महत्व है इस दिन दान पुण्य का अत्यंत महत्व है, शुभ कार्यों का अमिट फल मिलता है। आज ही दिन परशुरामजी का महर्षि जमदग्नि रेणुका देवी के घर में जन्म हुआ था, जिन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार कहा जाता है, इस दिन भगवान विष्णु ही नहीं भगवान परशुरामजी की भी पूजा आराधना का विधान है। महाभारत को पाँचवां वेद माना जाता है। वेद व्यास जी ने आज ही महाभारत लेखन शुरु किया था, श्रीमद्भागवत गीता का जिसमें समावेश है, आज गीता के अठारवें अध्याय का पाठ करना शुभदायक होता है। आज के दिन मांँ गंगा धरा पर अवतरित हुई थीं, वर्षों बरस की भगीरथ तपस्या आज ही तो सफल हुई थी। तभी से परंपरा बन गई गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप दोष मिट जाते हैं। आज ही अन्नपूर्णा माता का जन्मदिन भी मनाते हैं, गरीबों को भोजन और भंडारे भी कराए जाते हैं। अक्षय तृतीया की महिमा अपार है अक्षय फल का मिलता लाभ है। लेखक- सुधीर श्रीवास्तव गोण