आराध्य देव,प्रभु विश्वकर्मा का स्वरूप गुणगान व कालजयी योगदान : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा
आराध्य देव,प्रभु विश्वकर्मा का स्वरूप गुणगान व कालजयी योगदान डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा प्रकृति के चर अचर के निर्माण में जो नैसर्गिक शक्ति कार्य करती है वही विश्वकर्मा शक्ति है।सृजन व सर्जन के साथ जो भी सृजनात्मक चीजे अस्तित्व ग्रहण करती हैं और शोध व नवाचार होते हैं वह परम पिता,परम पुरुष भगवान विश्वकर्मा की ही देन है। अनेकानेक यन्त्रों व भौतिक संसाधनों का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा की कृपा से ही संभव हुआ है,जिससे आज मानव समाज भौतिक चरमोत्कर्ष को प्राप्त किया।यन्त्र निर्माण (यांत्रिकी)नव विद्या,अभियान्त्रिकी,प्रौद्योगिकी,अंतरिक्ष विद्या,शिल्प कला विद्या (शिल्प विज्ञान)इत्यादि विद्या व विधाओं के जनक व प्रवर्तक भगवान विश्वकर्मा ही हैं।यही कारण रहा है कि अनादि काल से अब तक भगवान विश्वकर्मा विश्व बंदित एवं पूजित हैं।विशिष्ट ज्ञान विज्ञान तकनीकी ज्ञान के कारण ही देवता व गन्धर्वों द्वारा उनकी उपासना की जाती रही है।आज भी स्वयं के विकास व राष्ट्र की उन्नति के लिए हम सभी को भगवान विश्वकर्मा की पूजा करनी चाहिए।उनकी पूजा परम कल्याणकारी मानी गयी है। श