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एक होकर हम चलें

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एक होकर हम चलें                            (कविता)        एक होकर जब चलेंगे,सबमें जगेगी तब चेतना।      एक दिन उज्ज्वल भविष्य होगा सभी यह देखना       हम न कुल से हो अलग,न हो हमारी राहें जुदा।       कौम वही आगे बढ़ा ,हिम्मत रही जिसमें सदा।।       कैसे हो सब भाइयों में,समझदारी और एकता।       सदमार्ग से वो ही भटकते,जो नहीं ख़ुद चेतता।।        अपने कुल की संस्कृति को सब लगाये यूँ गले।        दूर करके आपसी मतभेद व सब शिकवे गिले।।        प्रकृति ने सबको बनाया,हमको यहाँ छोटा बढ़ा।        क्यों सदा यह प्रश्न करते बेवजह  होकर खड़ा।।        संगठन से जुड़कर ही,हम पेश करते है मिसाल।        हम सृजनशील कौम हैं,इस धरा के भोले लाल।।        लक्ष्य पाते हम सदा ही,धीर बनकर हो सफल।        दुश्मनों की चाल भी हो,नष्ट भ्रष्ट और विफल।।        ध्यान बस  एकता पर,कमियाँ अपनी लायें नहीं।        जो भी हो गम्भीर मसले,बैठकर सुलझाए सभी।।        कुल सदा शिक्षित बने,श्रम से कौशल का प्रबंध।        उन्नति प्रगति मिलती रहेगी,हौसले रखना बुलन्द।।        रचनाकार: डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा, वाराणसी

काशी काव्य गंगा साहित्यिक मंच (पंजीकृत) की धूमधाम से मनायी गई 129 वीं गोष्ठी

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काशी काव्य गंगा साहित्यिक मंच (पंजीकृत) की धूमधाम से मनायी गई  129 वीं गोष्ठी  वाराणसी :  काशी काव्य गंगा साहित्यिक मंच पंजीकृत, वाराणसी की साप्ताहिक 129 वीं गोष्ठी रविवार को मेरे कार्यालय श्रीवास्तव म्युचुअल फंड सनबीम लहरतारा, यादव कटरा चन्दुआ  छित्तुपुरा वाराणसी में हर्षोल्लास से धूमधाम से मनाया गया।   इस गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि डा. कुमार अशोक, मुख्य अतिथि गजलकार गोपाल केशरी, संचालन संस्था के उपाध्यक्ष मुनींद्र पाण्डेय " मुन्ना " ने किया।   कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था के अध्यक्ष हास्य व्यंग्य कवि भुलक्कड़ बनारसी ने सभी उपस्थित कवियों व शायरों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया, और तदोपरान्त सरस्वती बंदना विमल बिहारी ने कर कार्यक्रम की शुरुआत किया।        उपस्थित कवियों और शायरों में हास्य व्यंग्य कवि भुलक्कड़ बनारसी, जयप्रकाश मिश्र धानापुरी, गजलकार गोपाल केशरी, श्री नरोत्तम शिल्पी, मुनींद्र पाण्डेय मुन्ना, आनंद कृष्ण श्रीवास्तव " मासूम " वाहिद इकबाल बनारसी, सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध, गोपाल केशरी, विजय चंन्द्र त्रिपाठी, डा. कुमार अशोक, विमल ब

जगद्गुरु भगवान विश्वकर्मा पर लिखित एवम् उनके द्वारा प्रणीत ग्रंथों की समृद्ध एवम् विशाल साहित्य श्रृंखला : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा

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  जगद्गुरु भगवान विश्वकर्मा पर लिखित एवम् उनके द्वारा प्रणीत ग्रंथों की समृद्ध एवम् विशाल साहित्य श्रृंखला : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा आत्मीय बंधुओं ! हममें से बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि सृष्टि निर्माता आदि देव,परम पुरुष,भगवान विश्वपति जिन्हें पूरी दुनिया विश्व देव के नाम से पुकारती है पर वैदिक काल से लेकर अब तक कई ग्रंथ लिखे गए हैं,परन्तु कुछ लोगों के कुत्सित प्रयास से उनका नाम उच्चारण करने में भी आज कुछ वर्गों को शर्म आती है।आप सभी इस बात से शायद वाक़िफ न हो कि हमारे इतिहास को ठीक ढंग से नहीं प्रस्तुत किया गया है। मित्रों ! यह विश्वकर्मा संस्कृति का ही योगदान है जो विश्व में अनेकानेक सभ्यताओं का निर्माण हुआ।इस वंश ने कृषि उपकरणों की खोज कर कृषि कार्यों को गतिमान बनाया जिससे गृहस्थ जीवन की शुरुआत हुई। विश्वकर्मा संस्कृति ने ही विभिन्न प्रकार के सृजन के कार्य ,मठ मंदिरों प्रासादों का निर्माण किया।पूजा की वेदियों को तैयार किया यज्ञ कराने की विधियों को बताया।यज्ञ भी वैदिक काल में शिल्पचार्य ही कराता था और पूरी दुनिया को सुख के तमाम साधनों को उपलब्ध कराकर आज दुनिया को रहने ला

शिकसा ने माता का जगराता का किया आयोजन

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शिकसा ने माता का जगराता का किया आयोजन  (शिकसा हर पर्व व त्योहार का सम्मान करता है : शिवनारायण )              शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ ने अश्विन नवरात्रि के अवसर पर कार्यक्रम "शिकसा माता का जगराता" का आयोजन संयोजक डाॅ.शिवनारायण देवांगन "आस" के संयोजन कार्यक्रम प्रभारी विजय कुमार प्रधान की उपस्थिति व टीकाराम सारथी "हसमुख" प्राचार्य चुरतेली के अध्यक्षता में आयोजित हुआ।                कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना हेमा चन्द्रवंशी प्रधान पाठक खुर्सीपार भिलाई व राजगीत एस.वीणा पटेल शिक्षिका सेक्टर 10  भिलाई ने प्रस्तुत कर किया।                   सर्वप्रथम संस्थापक व संयोजक डॉ.शिवनारायण देवांगन "आस" ने कार्यक्रम पर डालते हुए कहा कि हम छत्तीसगढ़ के हर पर्व व त्योहार का सम्मान करते है इसी कड़ी में आज माता का जगराता का आयोजन किया गया।            तदपश्चात कार्यक्रम प्रभारी विजय कुमार प्रधान ने अपने उदबोधन में कार्यक्रम पर बात रखा और बताया कि शिकसा निरंतर हर कार्यक्रम करते हुए मिशाल बन चुका है।            कार्यक्रम के अध्यक्ष टीक

जय माँ कालरात्रि- ( सातवां रूप )

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जय  माँ  कालरात्रि-  ( सातवां रूप ) ************************** शारदीय  नवरात्र    का  ,  दिन   सातवां    आज  , माँ  का   यह  स्वरूप  , वीरता, साहस  का राज  । आओ, आज  करें, माँ  कालरात्रि   की  आराधना ,  अधूरी ना रहेगी ,किसी के जीवन में ,कोई कामना । अति   शीघ्र  प्रसन्न होती माँ, भक्तों  की पुकार  से ,  हृदय   की   अति  कोमल  माँ , सुनती  मनुहार से । रक्षा  किया   माँ   ने  , शुंभ  निशुंभ  अत्याचार  से ,  मानकर आदेश शिव का, बचाया दुष्टों के संहार से।  भक्तों  को भयहीन बनाती,शुभंकारी जाना  जाता ,  काया  रात्रि अंधकार सम, प्रलयंकारी माना जाता । केश  माँ के अस्त व्यस्त, गले शोभित विद्युत माला ,  गर्दभ  सवारी  माँ  की , भुजा  गड़ासा , वज्रवाला  । शेष  भुजाएँ  माँ  की ,  वरमुद्रा, अभयमुद्रा  वाली  ,  दैत्यों    का   कर   संहार  , माँ  सृष्टि  बचानेवाली । करें  आरती माँ  की , प्यारी  माँ  सब  कष्ट मिटावे ,  आई  विपदा आज मनुज पर ,माँ शीघ्र ही  बचावें । कवि- चंद्रकांत  पांडेय, मुंबई / महाराष्ट्र 

बाल तस्करों के चिन्हाकन हेतु चलाया जायेगा अभियान

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बाल तस्करों के चिन्हाकन हेतु चलाया जायेगा अभियान  सोनभद्र :          जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक सोनभद्र के निर्देशन में जनपद के रेलवे स्टेशन चोपन स्थित अधीक्षक कार्यालय  में  बच्चों के सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अखिल नारायण देव पाण्डेय की अध्यक्षता में मासिक बैठक आहूत की गई।              इस दौरान बैठक में जिला बाल संरक्षण इकाई सोनभद्र से ओ आर डब्ल्यू शेषमणि दुबे द्वारा पूर्व के बैठक  के अनुपालन के संबंध में समिति के समक्ष बिन्दुवार बताया गया साथ ही यह भी बताया गया कि  विगत तीन माह में एक प्रकरण नाबालिग बालिका का आर पी एफ चोपन द्वारा चाइल्ड हेल्पलाइन यूनिट को दिया गया है, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अखिल नारायण देव पाण्डेय द्वारा सभी सम्बंधित को निर्देशित किया गया कि बाल तस्करी करने वाले तस्करों का चिन्हाकन करते हुए नियमानुसार विधिक कार्यवाही किये जाने हेतु विशेष अभियान जनपद स्तर पर चलाया  जाये।  नीलू यादव द्वारा बताया गया कि बच्चों के सुरक्षा एवं संरक्षण से  सम्बंधित सूचना  तत्काल  चाईल्ड हेल्पलाइन  टोल फ्री नम्बर (1098) पर सूचित कर सकत

माँ कात्यायनी - छठां स्वरूप

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माँ  कात्यायनी -  छठां  स्वरूप  *********************** नवरात्रि   का  छठां  दिन , दिन  अत्यंत  पावन ,  भक्तिभाव में पूजन कर लें, माँ का रूप सुहावन। माँ    कात्यायनी    रक्षा   करें ,  वंदन   वारंबार ,  जग विदित है  कीर्ति माँ की , महिमा अपरंपार । माँ   सिवाय   संतति   सुरक्षा,   कौन  करे दूजा ,  गोपियों ने भी  की थी , कृष्ण  प्राप्ति  हेतु पूजा । मोक्ष  दायिनी    माँ ,   समस्त  सुख   प्रदायिनी ,  अस्त्र  शस्त्र भुजा शोभित ,  माता  सिंहवाहिनी । इसी रूप में माँ ने, महिषासुर का किया था मर्दन,  महिषासुरमर्दिनी नाम पडा़,  देवों ने किया नर्तन। जो   भक्त   नित   करें ,  माता    की   आराधना ,  धर्म  , अर्थ  , काम  , मोक्ष  पूर्ण  होती  कामना  । लाल रंग अति शुभ होता, इस  दिन का परिधान ,  आने  वाली  हर विपदा का, अवश्य मिले निदान। महर्षि   कात्यायन  पुत्री, नाम  पड़ा  कात्यायनी ,  पूजन  में   शहद   प्रिय,  भक्तों   की  वरदायिनी ।      कवि- चंद्रकांत पांडेय     मुंबई  ( महाराष्ट्र  )     

कन्या नही मिली (कहानी)

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कन्या नही मिली  पसीने से लथपथ राज घर पर आया। राधा-राधा एक गिलास पानी दो अपनी पत्नी को आवाज़ लगाते हुए बोला। राधा - अभी लाई  राधा पानी का गिलास ले कर आती और बोलती है बस पूड़ी सेकना बाकी है बस सब कुछ बन गया। क्या फ़ायदा इतना जल्दी बनाने का खाना और इतना ज्यादा पूरे गांव का चक्कर लगा कर आ रहा हूं सिर्फ दो ही कन्या मिली? अब कहा से होगा कन्या पूजन? पानी पीते हुए राज ने बोला। सबको लड़के की चाह है इसलिए लड़की को कोख में ही मार डाला अब कन्या पूजन का दिखावा क्यों कर रहे है। पूजन बेटों का कर लो लाइन लगी है गांव में धीरे से राधा बोल कर पूड़ी बनाने चली जाती हैं। - प्रतिभा अंकित जैन  उज्जैन, मध्य प्रदेश

आदि माँ

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                 आदि माँ                                                           ईश्वर नहीं सर्वत्र रह पाया,माँ को दिया ऊँचा स्थान। माँ के सृजन से जग ने पाया,जीवन को जीने का ज्ञान। करुणा दया और ममता की,माँ है सजीव प्रतिमूर्ति। सर्व देव सब वेद वन्दिता,माँ की फैली जग सुकीर्ति।। माँ बच्चों की रक्षा करती और मिटाती है अभिशाप । माँ की दुआ ही साक्षी है,अभिनव जीवन की सौगात।। माँ की ममता के सुगंध से,महका है यह जग उद्यान। माँ के त्याग तपस्या के ऋण,चुकता कैसेकरेजहान।। सब तीर्थों में बढ़कर है,मातु पिता की निश दिन सेवा। जीवन सुफल निष्कंटक होता,पाता जग मीठा मेवा।। माँ करती परिवार सृजन तो,कहलाती जगत ब्राह्मणी। पूज्य सभी देवों से बढ़कर,दुनिया कहती है कल्याणी।। पालन करती है बच्चों का,वह  वैष्णवी पुकारी जाती। रुद्राणी की भूमिका निभाकर,दुर्गति को है दूर भगाती।। माँ करती है सदा पाल्य से,प्रेम संग निश्छल व्यवहार। माँ का त्याग है बंदित जग में,मानवता का वह आधार।। माँ इस धरा की एक धरोहर,त्याग तपस्या सेवा की। माँ का जीवन एक सरोवर,कल्याणी सम ममता की।। माँ की गोदी है दुनिया की,एक अनोखा सुन्दर धाम। माँ के दिल